Monika garg

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लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू(भाग:-4)

गतांक से आगे:-


चंदा धड़कते दिल से हवेली की ओर जा रही थी ।मन में बार बार ख्याल आ रहे थे कि कभी हवेली के अंदर  नहीं आने दिया तो उसकी सास ने….

लेकिन दिल कड़ा करके वो चली जा रही थी ।जैसे ही हवेली  के दरवाज़े पर पहुंची घर की रौनक देखकर मन कुछ शांत हुआ कि चलो जिस काम के लिए आई हूं वो कर पाऊंगी।वह हवेली के अंदर चली गई सामने सास हल्दी की तैयारी कर रही थी उसे देखते ही सास का क्रोध उबालें मारने लगा पर कह कुछ नहीं सकती थी क्योंकि  रिश्तेदारों के आगे भली बनी रहना चाहतीं थीं।तभी ताई सास जो शहर में रहती थी उसने आगे बढ़कर चंदा का स्वागत किया ," आ गई बहूरिया मैके से? तुम्हारी दाद देनी पड़ेगी भरी खाट पर सौतन लाकर बैठा रही हो तुम्हारी सास बता रही थी कितना बलिदान किया है हमारी बहूरिया ने ताकि घर में ललना खेल सके।"

"ओहहह… अब समझ आया सासू मां ने रिश्तेदारों के आगे ये कह रखा है कि मैंने हामी भरी है अपने पति की दूसरी शादी की ।" चंदा मन ही मन सोचने लगी ।

प्रत्यक्ष में बोली,"अब ताई जी खानदान को घर के चिराग के बगैर तो नहीं रख सकती ना ।बस अब भगवान से यही प्रार्थना है कि इस आंगन में ललना खेल।"

यह कह कर वह इधर उधर देखने लगी ।शायद विशम्बर को ढूंढ रही थी।वह अपने कमरे में था वह तीर की भांति उसके कमरे में गई उसकी मुट्ठी कस के बंद थी ।

उसे देखकर विशम्बर धीमे से बोला," अब क्या लेने आई है कलमुंही ।तुझ से मेरी खुशी बर्दाश्त नहीं होती क्या जो जहर घोलने आ खड़ी हुई है।"

चंदा ने आगे बढ़कर मुठ्ठी खोली और मंगलसूत्र विशम्बर की हथेली पर रख दिया ," लो अब इस गहने की मुझे कोई जरूरत नहीं है।जिसको इस घर में ला रहे हैं उसी को पहना देना।"

यह कहकर बिना रुके और विशम्बर का जवाब सुने बिना वो कमरे से बाहर आ गयी।

चंदा की आंखें नम थी लेकिन अपने पिता से सपने में जो वादा किया था कि अब वो कमजोर नहीं पड़ेगी वह उसे निभा रही थी ।

तभी सास सामने से लड्डूओं की थाली लेती आ खड़ी हुई उसके सामने और बोली,"सुन री.. आज शाम को नयी दुल्हन आ जाएगी तब तक रिश्तेदारों को दिखाने के लिए यहां रहना ।फिर हमारी बला से कहीं भी चली जाना।"

चंदा ने मुस्कुराते हुए कहा,"क्यों नहीं सासू मां अब इतना बड़ा बलिदान दिया है तो नयी बहू की आरती का हक भी मुझे ही है ।" यह कहकर वह मुस्काते हुए रिश्तेदारों की भीड़ में समा गयी।

चंदा की सास ये देखकर हैरान थी कि हमने इसके साथ कितना बुरा बर्ताव किया और ये हंस हंस कर सब काम कर रही है।

क्या खाने की व्यवस्था , क्या सजावट सब ही तो चंदा ने सम्भाल लिया था।गली पड़ोस की औरतें कानाफूसी करती," लगता है बेचारी को सदमा लगा है जो अपने ही पति की शादी में ऐसे हंस हंस कर काम कर रही है। "

बारात चढ़ी, घोड़ी दरवाजे आई , चंदा पागलों की तरह नाची ,और नयी बहूरिया दरवाज़े पर आ खड़ी हुई ।चंदा आरती की थाली लाई और दोनों की आरती कर नयी बहू के कान में फुसफुसाई," लो बहन सम्हालो ये घर और मेरा पति ।"

कमली  टुकर टुकर उसे देखने लगी।आरती का थाल मंदिर में रख चंदा दौड़ कर हवेली से बाहर हो गई।

आज बहुत बड़ा बोझ वो अपने मन से उतार कर आ रही थी।

चाचा ससुर के घर में जाकर अपनी कोठरी में दौड़कर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया ।मन भारी था ….आखिर होता भी क्यों नहीं पति नाम  को पूरी तरह से अपनी ज़िंदगी से मिटाकर जो आ रही थी।

तभी कोठरी का दरवाजा खटखटाया किसी ने ।चंदा ने दरवाजा खोला तो चचिया सास लाठी लेकर खड़ी थी उसे देखकर चंदा उसकी छाती से लग गई।

"बस ..बस बिटिया मैं जानती हूं  तेरे मन पर क्या बीत रही है ।मुझे गली पड़ोस की सब औरतें बता कर जा रही थी कि कैसे तू दिल पर पत्थर रखकर वहां सब से हंस हंस कर बातें कर रही थी ।और जिजी भी कितनी दुष्टा है । बताओं रिश्तेदारों के आगे कहा रही है बहू ने ही हामी भरी है कि विशम्बर की दूसरी शादी करवा दो।अब तू भी ऐसे टूटे भेस मत रहा कर ।काजल ,बिंदी लगाकर रहा कर ।"

चंदा ने सिर हिला दिया ।शाम के चार बज चुके थे दो दिन चंदा के घर में ना रहने पर एक बूंद पानी नहीं था घर मे । इसलिए चंदा ने पानी का मटका उठाया और कुएं की ओर चल दी।


वह जब हवेली में थी तब कुएं से कभी कभार पानी लेने जाती तो उसे ऐसे लगता जैसे दो जोड़ी आंखों की उसका पीछा कर रही है । लेकिन अब चचिया सास के यहां रहने पर उसे हर रोज पानी लाना पड़ता था अब तो उसे पक्का अहसास हो गया था कि जब वह पानी का मटका उठाकर चलती है तो कोई उसे पेड़ के पीछे से हर रोज ताकता है ।


आखिर कौन है वो जो चंदा को छुप छुप कर देखता है और क्या चंदा उसे जान पायेगी ये सब जानने के लिए अगले भाग का इंतजार…..

(क्रमशः)

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4 Comments

HARSHADA GOSAVI

15-Aug-2023 12:50 PM

Nice

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Sushi saxena

04-Jun-2023 02:58 PM

Nice one

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Alka jain

04-Jun-2023 12:45 PM

V nice 👍🏼

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